लेखनी कविता - निरापद कोई नहीं है - भवानीप्रसाद मिश्र

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निरापद कोई नहीं है / भवानीप्रसाद मिश्र ना निरापद कोई नहीं है न तुम, न मैं, न वे न वे, न मैं, न तुम सबके पीछे बंधी है दुम आसक्ति की! ...

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