लेखनी कविता - अन्दाज़ - भवानीप्रसाद मिश्र

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अन्दाज़ / भवानीप्रसाद मिश्र अन्दाज़ लग जाता है कि घिरने वाले हैं बादल फटने वाला है आसमान ख़त्म हो जाने वाला है अस्तित्व सूर्य का इसी तरह सुनाई पड़ जाता है ...

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