लेखनी कविता - ऐसा हो जाता है - भवानीप्रसाद मिश्र

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ऐसा हो जाता है / भवानीप्रसाद मिश्र ऐसा हो जाता है कभी-कभी जैसा आज हो गया मेरा सदा मुट्ठी में रहने वाला मन चीरकर मेरी अंगुलियां मेरे हाथ से निकल कर ...

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