लेखनी कविता - मेरा अपनापन - भवानीप्रसाद मिश्र

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मेरा अपनापन / भवानीप्रसाद मिश्र रातों दिन बरसों तक मैंने उसे भटकाया लौटा वह बार-बार पार करके मेहराबें समय की मगर खाली हाथ क्योंकि मैं उसे किसी लालच में दौड़ाता था ...

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