लेखनी कविता -श्रम की महिमा - भवानीप्रसाद मिश्र

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श्रम की महिमा / भवानीप्रसाद मिश्र तुम काग़ज़ पर लिखते हो वह सड़क झाड़ता है तुम व्यापारी वह धरती में बीज गाड़ता है। एक आदमी घड़ी बनाता एक बनाता चप्पल इसीलिए ...

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