लेखनी कविता - बेदर्द - भवानीप्रसाद मिश्र

58 Part

39 times read

0 Liked

बेदर्द / भवानीप्रसाद मिश्र मैंने निचोड़कर दर्द मन को मानो सूखने के ख़याल से रस्सी पर डाल दिया है और मन सूख रहा है बचा-खुचा दर्द जब उड़ जाएगा तब फिर ...

Chapter

×