लेखनी कविता -सन्नाटा - भवानीप्रसाद मिश्र

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सन्नाटा / भवानीप्रसाद मिश्र तो पहले अपना नाम बता दूँ तुमको, फिर चुपके चुपके धाम बता दूँ तुमको तुम चौंक नहीं पड़ना, यदि धीमे धीमे मैं अपना कोई काम बता दूँ ...

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