लेखनी कविता - वाणी की दीनता - भवानीप्रसाद मिश्र

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वाणी की दीनता / भवानीप्रसाद मिश्र वाणी की दीनता अपनी मैं चीन्हता ! कहने में अर्थ नहीं कहना पर व्यर्थ नहीं मिलती है कहने में एक तल्लीनता ! आस पास भूलता ...

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