लेखनी कविता -गीत-फ़रोश - भवानीप्रसाद मिश्र

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गीत-फ़रोश / भवानीप्रसाद मिश्र जी हाँ हुजूर, मैं गीत बेचता हूँ। मैं तरह-तरह के गीत बेचता हूँ; मैं क़िसिम-क़िसिम के गीत बेचता हूँ। जी, माल देखिए दाम बताऊँगा, बेकाम नहीं है, ...

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