लेखनी कविता - सतपुड़ा के जंगल - भवानीप्रसाद मिश्र

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सतपुड़ा के जंगल / भवानीप्रसाद मिश्र सतपुड़ा के घने जंगल।  नींद मे डूबे हुए से  ऊँघते अनमने जंगल। झाड ऊँचे और नीचे, चुप खड़े हैं आँख मीचे, घास चुप है, कास ...

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