लेखनी कविता - कठपुतली - भवानी प्रसाद मिश्र

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कठपुतली / भवानी प्रसाद मिश्र कठपुतली गुस्‍से से उबली बोली- यह धागे क्‍यों हैं मेरे पीछे-आगे? इन्‍हें तोड़ दो; मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो। सुनकर बोलीं और-और कठपुतलियाँ कि हाँ, ...

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