लेखनी कविता - इसे जगाओ - भवानीप्रसाद मिश्र

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इसे जगाओ / भवानीप्रसाद मिश्र भई, सूरज ज़रा इस आदमी को जगाओ! भई, पवन ज़रा इस आदमी को हिलाओ! यह आदमी जो सोया पड़ा है, जो सच से बेखबर सपनों में ...

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