लेखनी कविता -सूरज का गोला - भवानीप्रसाद मिश्र

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सूरज का गोला / भवानीप्रसाद मिश्र सूरज का गोला, इसके पहले ही कि निकलता, चुपके से बोला,हमसे - तुमसे इससे - उससे कितनी चीजों से, चिडियों से पत्तों से , फूलो ...

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