लेखनी कविता - सब जीवन बीता जाता है -जयशंकर प्रसाद

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सब जीवन बीता जाता है -जयशंकर प्रसाद सब जीवन बीता जाता है  धूप छाँह के खेल सदॄश  सब जीवन बीता जाता है  समय भागता है प्रतिक्षण में, नव-अतीत के तुषार-कण में, ...

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