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आह ! वेदना मिली विदाई -जयशंकर प्रसाद आह ! वेदना मिली विदाई मैंने भ्रमवश जीवन संचित, मधुकरियों की भीख लुटाई। छलछल थे संध्या के श्रमकण, आँसू-से गिरते थे प्रतिक्षण, मेरी यात्रा ...