लेखनी कविता - तुम कनक किरन -जयशंकर प्रसाद

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तुम कनक किरन -जयशंकर प्रसाद  तुम कनक किरन के अंतराल में  लुक छिप कर चलते हो क्यों ? नत मस्तक गर्व वहन करते  यौवन के घन रस कन झरते  हे लाज ...

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