लेखनी कविता - दो बूँदें -जयशंकर प्रसाद

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दो बूँदें -जयशंकर प्रसाद  शरद का सुंदर नीलाकाश  निशा निखरी, था निर्मल हास  बह रही छाया पथ में स्वच्छ  सुधा सरिता लेती उच्छ्वास  पुलक कर लगी देखने धरा  प्रकृति भी सकी ...

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