लेखनी कविता - दो बूँदें -जयशंकर प्रसाद

42 Part

61 times read

0 Liked

दो बूँदें -जयशंकर प्रसाद  शरद का सुंदर नीलाकाश  निशा निखरी, था निर्मल हास  बह रही छाया पथ में स्वच्छ  सुधा सरिता लेती उच्छ्वास  पुलक कर लगी देखने धरा  प्रकृति भी सकी ...

Chapter

×