लेखनी कविता - अशोक की चिन्ता- जयशंकर प्रसाद

42 Part

158 times read

0 Liked

अशोक की चिन्ता- जयशंकर प्रसाद जलता है यह जीवन पतंग जीवन कितना? अति लघु क्षण, ये शलभ पुंज-से कण-कण, तृष्णा वह अनलशिखा बन दिखलाती रक्तिम यौवन। जलने की क्यों न उठे ...

Chapter

×