लेखनी कविता -ले चल वहाँ भुलावा देकर- जयशंकर प्रसाद

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ले चल वहाँ भुलावा देकर- जयशंकर प्रसाद जयशंकर प्रसाद » ले चल वहाँ भुलावा देकर मेरे नाविक ! धीरे-धीरे ।  जिस निर्जन में सागर लहरी,  अम्बर के कानों में गहरी,  निश्छल ...

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