लेखनी कविता -मधुप गुनगुनाकर कह जाता- जयशंकर प्रसाद

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मधुप गुनगुनाकर कह जाता- जयशंकर प्रसाद मधुप गुनगुना कर कह जाता कौन कहानी अपनी, मुरझा कर गिर रही पत्तियां देखो कितनी आज धनि.  इस गंभीर अनंत नीलिमा में अस्संख्य जीवन-इतिहास-  यह ...

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