लेखनी कविता -मेरी आँखों की पुतली में- जयशंकर प्रसाद

42 Part

46 times read

0 Liked

मेरी आँखों की पुतली में- जयशंकर प्रसाद मेरी आँखों की पुतली में  तू बन कर प्रान समां जा रे ! जिससे कण कण में स्पंदन हों, मन में मलायानिल चंदन हों, ...

Chapter

×