लेखनी कविता -शशि-सी वह सुन्दर रूप विभा- जयशंकर प्रसाद

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शशि-सी वह सुन्दर रूप विभा- जयशंकर प्रसाद  शशि सी वह सुंदर रूप विभा  छाहे न मुझे दिखलाना. उसकी निर्मल शीतल छाया  हिमकन को बिखरा जाना. संसार स्वप्न बनकर दिन-सा  आया है ...

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