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शशि-सी वह सुन्दर रूप विभा- जयशंकर प्रसाद शशि सी वह सुंदर रूप विभा छाहे न मुझे दिखलाना. उसकी निर्मल शीतल छाया हिमकन को बिखरा जाना. संसार स्वप्न बनकर दिन-सा आया है ...