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अरे!आ गई है भूली-सी- जयशंकर प्रसाद अरे! आ गई है भूली- सी- यह मधु ऋतु दो दिन को, छोटी सी कुटिया मैं रच दू, नयी व्यथा-साथिन को! वसुधा नीचे ऊपर नभ ...