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निधरक तूने ठुकराया तब- जयशंकर प्रसाद निधरक तूने ठुकराया तब मेरी टूटी मधु प्याली को, उसके सूखे अधर मांगते तेरे चरणों की लाली को. जीवन-रस के बचे हुए कन, बिखरे अमर ...