42 Part
58 times read
0 Liked
ओ री मानस की गहराई- जयशंकर प्रसाद ओ री मानस की गहराइ! तू सुप्त , शांत कितनी शीतल- निर्वात मेघ ज्यों पूरित जल- नव मुकुर नीलमणि फलक अमल, ओ परदर्शिका! चिर ...