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शेरसिंह का शस्त्र समर्पण- जयशंकर प्रसाद "ले लो यह शस्त्र है गौरव ग्रहण करने का रहा कर मैं -- अब तो ना लेश मात्र . लाल सिंह ! जीवित कलुष पंचनद ...