लेखनी कविता - बथुए की पत्ती, मूंगे जैसी बाल - जगदीश गुप्त

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बथुए की पत्ती, मूंगे जैसी बाल / जगदीश गुप्त पौधों में उभरा सीताओं का रूप पछुआ के झोंकों से हिल उठती धूप बैंगनी-सफ़ेद बूटियों की हिलकोर पीले फूलों वाली छींट सराबोर ...

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