लेखनी कविता -अपराध की इबारत - जगदीश गुप्त

38 Part

52 times read

1 Liked

अपराध की इबारत / जगदीश गुप्त अपराध यूँ ही नहीं बढ़ता है हर बच्चा बूढ़ों की आँखों में अपराध की इबारत साफ़-साफ़ पढ़ता है। वह इबारत पानी की तरह सतह पर ...

Chapter

×