38 Part
68 times read
1 Liked
साँझ-7 / जगदीश गुप्त खो गया गगन पलकों में, पुतली पर तम की छाया। धीरे-धीरे नयनों के - तारों में चाँद समाया।।९१र्।। विधु को छूने के पहले, पड़ी दृष्टि तारों पर। ...