38 Part
63 times read
1 Liked
साँझ-8 / जगदीश गुप्त नयनों ने जैसे कोई, उत्सुक उत्सव देखा हो। श्यामल पुतली के ऊपर, बन गई एक रेखा हो।।१०६।। अमृत की प्यासी आँखें, मुख छिव तकती घूमेंगी। मानस की ...