लेखनी कविता -अंग अंग उसे लौटाया जा रहा था - कुंवर नारायण

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अंग अंग उसे लौटाया जा रहा था / कुंवर नारायण अंग-अंग उसे लौटाया जा रहा था। अग्नि को जल को पृथ्वी को पवन को शून्य को। केवल एक पुस्तक बच गयी ...

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