लेखनी कविता -आवाज़ें - कुंवर नारायण

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आवाज़ें / कुंवर नारायण यह आवाज़ लोहे की चट्टानों पर चुम्बक के जूते पहन कर दौड़ने की आवाज़ नहीं है यह कोलाहल और चिल्लाहटें दो सेनाओं के टकराने की आवाज़ है, ...

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