लेखनी कविता - अलविदा श्रद्धेय! - कुंवर नारायण

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अलविदा श्रद्धेय! / कुंवर नारायण अबकी बार लौटा तो बृहत्तर लौटूँगा चेहरे पर लगाए नोकदार मूँछें नहीं कमर में बाँधे लोहे की पूँछें नहीं जगह दूँगा साथ चल रहे लोगों को ...

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