लेखनी कविता - एक हरा जंगल - कुंवर नारायण

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एक हरा जंगल / कुंवर नारायण एक हरा जंगल धमनियों में जलता है। तुम्हारे आँचल में आग...  चाहता हूँ झपटकर अलग कर दूँ तुम्हें उन तमाम संदर्भों से जिनमें तुम बेचैन ...

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