लेखनी कविता - घंटी - कुंवर नारायण

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घंटी / कुंवर नारायण   फ़ोन की घंटी बजी मैंने कहा- मैं नहीं हूँ और करवट बदल कर सो गया दरवाज़े की घंटी बजी मैंने कहा- मैं नहीं हूँ और करवट ...

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