लेखनी कविता - कभी पाना मुझे - कुंवर नारायण

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कभी पाना मुझे / कुंवर नारायण तुम अभी आग ही आग मैं बुझता चिराग   हवा से भी अधिक अस्थिर हाथों से पकड़ता एक किरण का स्पन्द पानी पर लिखता एक ...

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