लेखनी कविता -अबकी बार लौटा तो - कुंवर नारायण

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अबकी बार लौटा तो / कुंवर नारायण अबकी बार लौटा तो बृहत्तर लौटूंगा चेहरे पर लगाए नोकदार मूँछें नहीं कमर में बांधें लोहे की पूँछे नहीं जगह दूंगा साथ चल रहे ...

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