लेखनी कविता - घर पहुँचना - कुंवर नारायण

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घर पहुँचना / कुंवर नारायण हम सब एक सीधी ट्रेन पकड़ कर अपने अपने घर पहुँचना चाहते हम सब ट्रेनें बदलने की झंझटों से बचना चाहते हम सब चाहते एक चरम ...

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