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किसी पवित्र इच्छा की घड़ी में / कुंवर नारायण व्यक्ति को विकार की ही तरह पढ़ना जीवन का अशुद्ध पाठ है। वह एक नाज़ुक स्पन्द है समाज की नसों में बन्द ...