लेखनी कविता - घबरा कर - कुंवर नारायण

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घबरा कर / कुंवर नारायण वह किसी उम्मीद से मेरी ओर मुड़ा था लेकिन घबरा कर वह नहीं मैं उस पर भूँक पड़ा था । ज़्यादातर कुत्ते पागल नहीं होते न ...

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