लेखनी कविता - आदमी का चेहरा - कुंवर नारायण

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आदमी का चेहरा / कुंवर नारायण “कुली !” पुकारते ही कोई मेरे अंदर चौंका । एक आदमी आकर खड़ा हो गया मेरे पास सामान सिर पर लादे मेरे स्वाभिमान से दस ...

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