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ये पंक्तियाँ मेरे निकट / कुंवर नारायण ये पंक्तियाँ मेरे निकट आईं नहीं मैं ही गया उनके निकट उनको मनाने, ढीठ, उच्छृंखल अबाध्य इकाइयों को पास लाने : कुछ दूर उड़ते ...