लेखनी कविता -एक अजीब दिन - कुंवर नारायण

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एक अजीब दिन / कुंवर नारायण आज सारे दिन बाहर घूमता रहा और कोई दुर्घटना नहीं हुई। आज सारे दिन लोगों से मिलता रहा और कहीं अपमानित नहीं हुआ। आज सारे ...

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