55 Part
61 times read
0 Liked
सवेरे-सवेरे / कुंवर नारायण कार्तिक की हँसमुख सुबह। नदी-तट से लौटती गंगा नहा कर सुवासित भीगी हवाएँ सदा पावन माँ सरीखी अभी जैसे मंदिरों में चढ़ाकर ख़ुशरंग फूल ठंड से सीत्कारती ...