लेखनी कविता - रोते-हँसते - कुंवर नारायण

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रोते-हँसते / कुंवर नारायण जैसे बेबात हँसी आ जाती है हँसते चेहरों को देख कर जैसे अनायास आँसू आ जाते हैं रोते चेहरों को देख कर हँसी और रोने के बीच ...

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