लेखनी कविता -अगली यात्रा - कुंवर नारायण

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अगली यात्रा / कुंवर नारायण "अभी-अभी आया हूँ दुनिया से थका-मांदा अपने हिस्से की पूरी सज़ा काट कर..." स्वर्ग की सीढ़ियाँ चढ़ते हुए जिज्ञासु ने पूछा − "मेरी याचिकाओं में तो ...

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