लेखनी कविता - प्रस्थान के बाद - कुंवर नारायण

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प्रस्थान के बाद / कुंवर नारायण दीवार पर टंगी घड़ी कहती − "उठो अब वक़्त आ गया।" कोने में खड़ी छड़ी कहती − "चलो अब, बहुत दूर जाना है।" पैताने रखे ...

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