लेखनी कविता - सृजन के क्षण - कुंवर नारायण

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सृजन के क्षण / कुंवर नारायण रात मीठी चांदनी है, मौन की चादर तनी है, एक चेहरा ? या कटोरा सोम मेरे हाथ में दो नयन ? या नखतवाले व्‍योम मेरे ...

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